तीसरे पक्ष की कुकी के बिना, विज्ञापन को ज़्यादा काम का बनाना

14 दिसंबर, 2022

जोई ट्रॉट्ज़
प्रॉडक्ट मैनेजमेंट के डायरेक्टर, Privacy Sandbox

परिचय

Privacy Sandbox का मकसद, ओपन और बिना किसी शुल्क के उपलब्ध इंटरनेट पर लोगों की गतिविधि को निजी रखना है. इसके लिए, हम विज्ञापन इंडस्ट्री के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि निजता बनाए रखने वाली नई विज्ञापन टेक्नोलॉजी पर स्विच किया जा सके. साथ ही, 2024 की दूसरी छमाही में, Chrome में तीसरे पक्ष की कुकी के इस्तेमाल को बंद किया जा सके.

चाहे आप प्रॉडक्ट लीडर हों, सीटीओ हों, सीएमओ हों या सीईओ हों, यह समझना ज़रूरी है कि निजता को लेकर ज़्यादा जागरूक दुनिया में, विज्ञापन के इस्तेमाल के उदाहरणों को कैसे सपोर्ट किया जाए. साथ ही, ऐसे समाधानों को अपनाया जाए जो कारोबार के नतीजों और उपयोगकर्ता की निजता, दोनों को ऑप्टिमाइज़ कर सकें.

इसमें कोई शक नहीं है कि तीसरे पक्ष की कुकी के बिना काम करने के लिए, 2023 एक अहम साल होगा. इस गाइड में, हम इस बारे में बात करेंगे कि कुकी के बिना काम करने वाले भविष्य में, विज्ञापन से जुड़ा नेटवर्क, विज्ञापन को ज़्यादा काम का बनाने के लिए क्या कर सकता है:

  • काम के विज्ञापन दिखाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डेटा में क्या बदलाव हो रहा है?
  • विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े सलूशन, तीसरे पक्ष की कुकी के बिना दिलचस्पी के हिसाब से विज्ञापन कैसे दिखा सकते हैं?
  • मशीन लर्निंग, निजता को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सिग्नल का इस्तेमाल करके परफ़ॉर्मेंस को कैसे बेहतर बना सकती है?

काम के विज्ञापन दिखाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डेटा में क्या बदलाव हो रहा है?

दिलचस्पी के हिसाब से विज्ञापन दिखाने की सुविधा को, लोगों की दिलचस्पी के हिसाब से विज्ञापन दिखाने की सुविधा भी कहा जाता है. यह एक तरह की विज्ञापन दिखाने की सुविधा है. इसमें किसी व्यक्ति की दिलचस्पी और प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी का इस्तेमाल करके, उसे ज़्यादा काम के विज्ञापन दिखाए जाते हैं. इस तरह के विज्ञापन में, कई तरह के डेटा का इस्तेमाल सिग्नल के तौर पर किया जाता है. इससे यह तय किया जाता है कि कौनसा विज्ञापन दिखाना है. जैसे, उपयोगकर्ता ने कौनसा कॉन्टेंट देखा है, उपयोगकर्ता ने हाल ही में किन साइटों को देखा है या उसने पहले किसी खास साइट पर विज़िट किया है.

फ़िलहाल, इन सिग्नल को मुख्य रूप से क्रॉस-साइट आइडेंटिफ़ायर से जनरेट किया जाता है. जैसे, तीसरे पक्ष की कुकी. ये कुकी, हर डिवाइस के लिए यूनीक होती हैं. तीसरे पक्ष की कुकी के इस्तेमाल को बंद किया जा रहा है. इसलिए, दिलचस्पी के मुताबिक विज्ञापन दिखाने के लिए, विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े सलूशन को निजता के अनुकूल सिग्नल का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि काम के विज्ञापन दिखाए जा सकें. इनमें पहले पक्ष (ग्राहक) का डेटा, कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से सिग्नल, और प्लैटफ़ॉर्म की ओर से उपलब्ध कराए गए निजता बनाए रखने वाले एपीआई शामिल हैं. जैसे, Topics API, FLEDGE API, और Attribution Reporting API. ये एपीआई, विज्ञापन इंडस्ट्री के लिए ज़रूरी इस्तेमाल के उदाहरणों में मदद करते हैं. साथ ही, अलग-अलग साइट पर ट्रैकिंग से सुरक्षा करते हैं.

दिलचस्पी के हिसाब से विज्ञापन दिखाने की सुविधा, पूरे इकोसिस्टम में विकसित की गई नई टेक्नोलॉजी की मदद से काम कर सकती है और बेहतर नतीजे दे सकती है. इन टेक्नोलॉजी की मदद से, हम ऐसे भविष्य की ओर बढ़ पाएंगे जहां लोगों का डेटा बेहतर तरीके से सुरक्षित रखा जा सकेगा. साथ ही, विज्ञापन मार्केटिंग के ऐसे नतीजे दे पाएंगे जो डाइनैमिक और ओपन वेब को बढ़ावा देते हैं.

विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, तीसरे पक्ष की कुकी के बिना दिलचस्पी के हिसाब से विज्ञापन कैसे दिखा सकते हैं?

आजकल, दिलचस्पी के हिसाब से विज्ञापन दिखाने वाले लोग या कंपनियां, विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़ी सेवा देने वाली कंपनियों की मदद से, कैंपेन के लिए आम तौर पर ये सुविधाएं सेट अप करती हैं:

  1. लक्ष्य: विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी, इस विज्ञापन कैंपेन से कारोबार के लिए क्या नतीजा हासिल करना चाहती है? इससे विज्ञापन प्लैटफ़ॉर्म को यह पता चलता है कि उसे किस चीज़ के लिए ऑप्टिमाइज़ करना है. उदाहरण के लिए, विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी, बच्चों के कपड़ों की वेबसाइट पर बिक्री बढ़ाना चाहती है. आम तौर पर, इन लक्ष्यों को क्रॉस-साइट कन्वर्ज़न टैग और एट्रिब्यूशन रिपोर्टिंग की मदद से मेज़र किया जाता है.
  2. ऑडियंस: विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी, किन लोगों तक पहुंचना चाहती है? इससे विज्ञापन प्लैटफ़ॉर्म को पता चलता है कि विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी, विज्ञापन के लिए किसे सबसे सही मानती है. उदाहरण के लिए, विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी, बच्चों के कपड़ों की खरीदारी करने वाले नए ग्राहकों तक पहुंचना चाहती है.
  3. प्लेसमेंट: विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी, किन वेबसाइटों पर विज्ञापन दिखाना चाहती है? इससे पता चलता है कि विज्ञापन इन्वेंट्री या विज्ञापन इन्वेंट्री की कैटगरी के हिसाब से, विज्ञापन कहां दिखाए जा सकते हैं. उदाहरण के लिए, विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनियां अपने विज्ञापन कई वेबसाइटों पर दिखा सकती हैं. इसके अलावा, वे ऐसी वेबसाइटें भी चुन सकती हैं जिन पर उनकी पसंद के दर्शकों तक पहुंचने की संभावना ज़्यादा हो.
  4. बजट और बिड: विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी, कुल कितना खर्च करना चाहती है. साथ ही, इंप्रेशन दिखाए जाने, विज्ञापन पर क्लिक या विज्ञापन कन्वर्ज़न जैसी किसी खास कार्रवाई के लिए कितना खर्च करना चाहती है? इससे यह पक्का होता है कि कैंपेन, अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ज़रूरी लागत को पूरा करता है. उदाहरण के लिए, विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी, टारगेट की गई ऑडियंस और चुनिंदा वेबसाइटों पर 5,00,000 इंप्रेशन दिखाने के लिए, ज़्यादा से ज़्यादा 1,000 डॉलर खर्च करना चाहती है और ज़्यादा से ज़्यादा 2.00 डॉलर सीपीएम चुकाना चाहती है.

ऑडियंस बनाने की सुविधा को बेहतर बनाना

तीसरे पक्ष की कुकी के बिना काम करने वाले सिस्टम में, विज्ञापन से जुड़ी सेवा देने वाली कंपनियां यह तय करेंगी कि उनके प्लैटफ़ॉर्म, काम के विज्ञापन कैसे दिखाएं. आजकल, विज्ञापन को ज़्यादा काम का बनाने के लिए, विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी ऐसी ऑडियंस का इस्तेमाल करती है जो उसके प्रॉडक्ट और सेवाओं में दिलचस्पी दिखा सकती हैं. आजकल, विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनियां आम तौर पर इन अलग-अलग तरह की ऑडियंस का इस्तेमाल करती हैं:

  1. अफ़िनिटी ऑडियंस (एक जैसी पसंद वाली ऑडियंस): उपयोगकर्ताओं तक उनके जुनून, उनकी आदतों, और दिलचस्पी के आधार पर पहुंचें.
  2. इन-मार्केट: खरीदारी के लिए एकदम तैयार या बहुत ज़्यादा संभावना वाले उपयोगकर्ताओं तक पहुंचे.
  3. रीमार्केटिंग: उन लोगों तक पहुंचें जो पहले किसी विज्ञापन देने वाले व्यक्ति या कंपनी की वेबसाइट पर आ चुके हैं.
  4. ऑडियंस एक्सटेंशन: किसी पब्लिशर की वेबसाइट के उपयोगकर्ताओं तक अन्य वेबसाइटों पर पहुंचें.

तीसरे पक्ष की कुकी का इस्तेमाल बंद होने के बाद, विज्ञापन से जुड़े समाधान देने वाली कंपनियां, इन ऑडियंस टाइप के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सकती हैं. इसके लिए, उन्हें नए तरीकों का इस्तेमाल करना होगा. इनमें Privacy Sandbox API भी शामिल हैं.

अफ़िनिटी

फ़िलहाल, विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनियां, अफ़िनिटी (इसे दिलचस्पी भी कहा जाता है) के हिसाब से कैटगरी में बांटे गए उपयोगकर्ताओं तक पहुंचती हैं. इसके लिए, वे तीसरे पक्ष के डेटा सेगमेंट का इस्तेमाल करती हैं. ये ऑडियंस, कई डेटा मार्केटप्लेस उपलब्ध कराते हैं. साथ ही, इन्हें विज्ञापन टेक्नोलॉजी के पूरे इकोसिस्टम में डिस्ट्रिब्यूट किया जाता है, ताकि इन्हें चालू किया जा सके. इसके लिए, डिमांड-साइड प्लैटफ़ॉर्म (डीएसपी) और डेटा मैनेजमेंट प्लैटफ़ॉर्म (डीएमपी) जैसे चैनलों का इस्तेमाल किया जाता है.

आम तौर पर, इन सेगमेंट को तीसरे पक्ष की कुकी का इस्तेमाल करके लोगों को ट्रैक करके बनाया जाता है. इसके बाद, उपयोगकर्ताओं को कैटगरी के टैक्सोनॉमी के आधार पर ग्रुप किया जाता है. साथ ही, यह तय करने के लिए मालिकाना हक वाली कार्यप्रणालियों का इस्तेमाल किया जाता है कि कोई उपयोगकर्ता किसी कैटगरी के लिए कब ज़रूरी शर्तें पूरी करता है.

तीसरे पक्ष की कुकी के बंद होने के बाद, अफ़िनिटी के आधार पर ऑडियंस चुनने की सुविधा में बदलाव होगा. इससे किसी भी ऑडियंस में उपयोगकर्ताओं को शामिल करने के लिए, अलग-अलग सिग्नल का इस्तेमाल किया जा सकेगा. Privacy Sandbox के निजता बनाए रखने वाले एपीआई का इस्तेमाल करके, ऐसा कई तरीकों से किया जा सकेगा. जैसे:

  • Topics API: यह एपीआई, दिलचस्पी के विषयों की स्टैंडर्ड टैक्सोनॉमी उपलब्ध कराता है. साथ ही, हाल ही में विज़िट की गई वेबसाइटों के आधार पर, किसी उपयोगकर्ता की दिलचस्पी के विषयों को डिवाइस पर क्लासिफ़ाई करने के लिए, सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध तरीके का इस्तेमाल करता है. विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, किसी उपयोगकर्ता की दिलचस्पी के बारे में जानने के लिए Topics API को कॉल कर सकते हैं. वहीं, एपीआई निजता की सुरक्षा करता है. इसके लिए, वह इन बातों को सीमित करता है: ब्राउज़िंग इतिहास की अवधि, किसी विषय को ऐक्सेस करने वाली पार्टियां, दिखाई जाने वाली कैटगरी की संख्या वगैरह. यह एपीआई, विज्ञापन टेक्नोलॉजी के लिए खास तौर पर मददगार है. ऐसी विज्ञापन टेक्नोलॉजी के लिए जो पब्लिशर के साथ सीधे तौर पर काम नहीं करती या जिसमें कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से ऑप्टिमाइज़ करने की सुविधाएं नहीं होती हैं.
  • कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से डेटा देने वाला Topics API: यह एक ज़्यादा बेहतर तरीका है. इसमें उपयोगकर्ता के विषयों और पेज के कॉन्टेक्स्ट की तुलना की जाती है, ताकि उपयोगकर्ताओं की अन्य अफ़िनिटी का अनुमान लगाया जा सके. उदाहरण के लिए, विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधानों को यह पता चल सकता है कि किसी खास तरह के विषयों (जैसे, आउटडोर गतिविधियां) में दिलचस्पी रखने वाले लोग, किसी खास कैटगरी के पेजों (जैसे, ग्रिलिंग के बारे में जानकारी देने वाली साइटें) पर ज़्यादा विज़िट कर सकते हैं. विज्ञापन टेक्नोलॉजी, मशीन लर्निंग मॉडल को ट्रेनिंग दे सकती है. इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि "आउटडोर गतिविधि" वाली वेबसाइट पर आने वाले व्यक्ति को ग्रिलिंग में दिलचस्पी हो सकती है. भले ही, Topics API के ज़रिए "BBQ और ग्रिलिंग" को विषय के तौर पर न दिखाया गया हो. यह तरीका, खास तौर पर विज्ञापन टेक्नोलॉजी वाली ऐसी कंपनी के लिए मददगार होता है जो खरीदार की ओर से काम करती है. हालांकि, इसके लिए ज़रूरी है कि कंपनी के पास कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से ऑप्टिमाइज़ेशन करने की सुविधाएं हों.
  • FLEDGE API: यह एपीआई, विज्ञापन से जुड़ी टेक्नोलॉजी वाले सलूशन को ऑडियंस सेगमेंट बनाने की सुविधा देता है. इसके लिए, यह वेब पेज पर आने वाले लोगों को किसी खास सेगमेंट के सदस्यों के तौर पर लेबल करता है. जैसे, "परिवार के साथ रोमांचक यात्राओं में दिलचस्पी रखने वाले लोग." अगर विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़ी सेवा देने वाली कंपनी के पार्टनर नेटवर्क में "परिवार के साथ की जाने वाली रोमांचक गतिविधियां" से जुड़ी अन्य वेबसाइटें हैं, तो वह उन साइटों पर आने वाले लोगों को भी इसी सेगमेंट में जोड़ सकती है. FLEDGE, उपयोगकर्ता की निजता की सुरक्षा करता है. इसके लिए, वह उपयोगकर्ता को ऑडियंस सेगमेंट में असाइन करने की जानकारी को डिवाइस पर ही सेव करता है. साथ ही, विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधानों के साथ यह जानकारी शेयर नहीं करता कि एक ही उपयोगकर्ता, दिलचस्पी वाले कई ग्रुप से जुड़ा है या नहीं. इससे क्रॉस-साइट ट्रैकिंग सीमित हो जाती है. यह एपीआई, विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े ऐसे समाधान के लिए खास तौर पर मददगार है जिसके पास साइट पार्टनरशिप का नेटवर्क है.

इन तरीकों की मदद से, विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, अफ़िनिटी ऑडियंस के बड़े सेगमेंट उपलब्ध करा सकते हैं. इसके लिए, उन्हें क्रॉस-साइट उपयोगकर्ता आइडेंटिफ़ायर पर निर्भर नहीं रहना पड़ता. विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधानों को सिर्फ़ एक तरीके तक सीमित नहीं रहना चाहिए. साथ ही, पब्लिशर और विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों के साथ अपने संबंधों और मशीन लर्निंग की क्षमताओं के आधार पर, उन्हें अलग-अलग तरीके अपनाने चाहिए.

इन-मार्केट

फ़िलहाल, विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनियां, "इन-मार्केट" (इसे "खरीदारी में दिलचस्पी" भी कहा जाता है) के तौर पर क्लासिफ़ाई किए गए उपयोगकर्ताओं तक पहुंचती हैं. इसके लिए, वे तीसरे पक्ष की कुकी के सेगमेंट का इस्तेमाल करती हैं. यह तरीका, "अफ़िनिटी" के आधार पर ऑडियंस को ऐक्सेस करने के तरीके जैसा ही होता है. कोई उपयोगकर्ता "खाना बनाने के उपकरण" जैसे प्रॉडक्ट के लिए, इन-मार्केट ऑडियंस में शामिल है या सिर्फ़ खाना बनाने में दिलचस्पी रखता है, यह विज्ञापन समाधान देने वाली कंपनियों की मालिकाना हक वाली टैक्सोनॉमी और तरीकों पर निर्भर करता है.

तीसरे पक्ष की कुकी के बंद होने के बाद, निजता बनाए रखने वाले एपीआई, 'बाज़ार में मौजूद' ऑडियंस बनाने के लिए नए सिग्नल उपलब्ध कराएंगे. इसके कुछ अन्य तरीके यहां दिए गए हैं:

  • Topics API: अफ़िनिटी ऑडियंस के लिए इस एपीआई का इस्तेमाल करने की तरह ही, इन-मार्केट ऑडियंस के लिए इसका इस्तेमाल करने पर, एक ऐसा विषय मिलता है जो किसी उपयोगकर्ता के लिए खरीदारी के इरादे का अनुमान लगा सकता है. यह अनुमान, डिवाइस पर मौजूद, सार्वजनिक तौर पर जानी जाने वाली कार्यप्रणाली और टैक्सोनॉमी के आधार पर लगाया जाता है. इन विषयों को जनरेट करने के लिए, तीन हफ़्ते की स्टैंडर्ड लुकबैक विंडो का इस्तेमाल किया जाता है. इससे उपयोगकर्ता की निजता सुरक्षित रहती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि विज्ञापन समाधान देने वाली कंपनियों के लिए उपलब्ध कराए गए डेटा की कुल मात्रा सीमित होती है. हालांकि, प्रॉडक्ट और सेवाओं की अलग-अलग कैटगरी के लिए, खरीदारी के बारे में सोचने की अवधि अलग-अलग होती है. यह अवधि कुछ दिनों से लेकर महीनों तक हो सकती है. इसलिए, यह एपीआई उन विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों के लिए फ़ायदेमंद है जिनकी ग्राहक खरीदारी की अवधि, विषय की लुकबैक विंडो से मेल खाती है.
  • FLEDGE API: अफ़िनिटी के इस्तेमाल के उदाहरण की तरह ही, यह एपीआई विज्ञापन टेक्नोलॉजी प्लैटफ़ॉर्म को अपने सेगमेंट बनाने की सुविधा देता है. जैसे, "कार खरीदने में दिलचस्पी रखने वाले लोग." अगर विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़ी सेवा देने वाली कंपनी के पार्टनर नेटवर्क में ऐसी अन्य वेबसाइटें हैं जो "कार खरीदने में दिलचस्पी रखने वाले लोगों" से जुड़ी हैं, तो वे उन साइटों पर आने वाले लोगों को भी इसी सेगमेंट में जोड़ सकती हैं. हालांकि, ऐसा करते समय उन्हें अलग-अलग साइटों पर मौजूद उपयोगकर्ताओं की निजता का ध्यान रखना होगा. FLEDGE, विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान के लिए खास तौर पर तब फ़ायदेमंद होता है, जब पब्लिशर/विज्ञापन देने वाले व्यक्ति या कंपनी के बीच सीधा संबंध हो, जिससे डेटा पार्टनरशिप की जा सके. साथ ही, जब Topics की तुलना में ज़्यादा मनमुताबिक बनाने की ज़रूरत हो.
  • Topics API + Attribution Reporting API: Topics API और Attribution Reporting API को एक साथ इस्तेमाल करके, उन विषयों की सूचियों को बड़ा किया जा सकता है जो किसी खास कन्वर्ज़न से मैप होती हैं. जैसे, खरीदारी. इससे, बाज़ार में मौजूद ऑडियंस तक पहुंचने के ज़्यादा तरीके मिलते हैं. उदाहरण के लिए, विश्लेषण या मशीन लर्निंग सिस्टम से यह पता चल सकता है कि स्कूबा गियर का विज्ञापन देखने वाले और उसे खरीदने वाले लोगों की दिलचस्पी अक्सर "समुद्र तट और द्वीप" और "मछली पकड़ना" जैसे विषयों में होती है. विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़ा कोई समाधान, इस अहम जानकारी को "स्कूबा गियर खरीदने में दिलचस्पी रखने वाले" लोगों तक बेहतर तरीके से पहुंचने में मदद कर सकता है. इसके लिए, वह उन लोगों को चुनता है जिनकी दिलचस्पी इन दोनों विषयों में है. इस मामले में Attribution Reporting, उपयोगकर्ता की निजता की सुरक्षा करती है. इसके लिए, वह कन्वर्ज़न से जुड़े विषयों के बारे में नॉइज़ी एग्रीगेट कन्वर्ज़न डेटा उपलब्ध कराती है. यह तरीका तब सही होता है, जब विज्ञापन से जुड़ी सेवाएं देने वाली कंपनियों के पास कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से ज़्यादा डेटा न हो, लेकिन उनके पास मशीन लर्निंग या डेटा साइंस और विश्लेषण की बेहतर सुविधाएं हों.
  • कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से डेटा + एट्रिब्यूशन रिपोर्टिंग एपीआई: विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, इन चीज़ों का फ़ायदा उठा सकते हैं: जिन पेजों पर विज्ञापन दिखाए जाते हैं उन्हें कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से कैटगरी में बांटना, विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों और प्रॉडक्ट को कैटगरी में बांटना, और एट्रिब्यूशन रिपोर्टिंग से मिले डेटा का इस्तेमाल करना. इससे, यह पता लगाया जा सकता है कि जब लोग कुछ खास तरह के प्रॉडक्ट और सेवाएं खरीदने के लिए बाज़ार में होते हैं, तब वे किस तरह की साइटों को पसंद करते हैं. उदाहरण के लिए, डेटा के इस कॉम्बिनेशन से ऐसी अहम जानकारी मिल सकती है कि परिवार के साथ की जाने वाली गतिविधियों के बारे में वेब पेजों पर मौजूद लोगों के, आउटडोर कपड़ों को खरीदने की संभावना ज़्यादा होती है.

ये तरीके, विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधानों को क्रिएटिव तरीके से बढ़ाने और ऑडियंस सेगमेंट को पसंद के मुताबिक बनाने के कई तरीकों में से कुछ ही हैं. इनमें क्रॉस-साइट उपयोगकर्ता आइडेंटिफ़ायर पर भरोसा नहीं किया जाता. बेहतर नतीजों के लिए, वे पहले पक्ष (ग्राहक) के डेटा और निजता बनाए रखने वाले एपीआई के अन्य कॉम्बिनेशन जैसे ज़्यादा सिग्नल भी इंटिग्रेट कर सकते हैं. इसलिए, विज्ञापन टेक्नोलॉजी की सेवा देने वाली कंपनियां, दर्शकों को टारगेट करने के अलग-अलग तरीके अपनाकर, यूनीक डेटा को सुरक्षित करके, और मशीन लर्निंग की बेहतर सुविधाएं डेवलप करके, खुद को अलग दिखा सकती हैं.

रीमार्केटिंग

विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनियां, रीमार्केटिंग की मदद से उन उपयोगकर्ताओं को फिर से जोड़ सकती हैं जो पहले उनकी वेबसाइट पर आ चुके हैं. फ़िलहाल, रीमार्केटिंग में यह शामिल है: वेबसाइट पर आने के समय ब्राउज़र पर तीसरे पक्ष की कुकी रखना. इसके बाद, जब कुकी किसी दूसरी वेबसाइट पर दिखती है, तो उस ब्राउज़र को विज्ञापन दिखाने के लिए बिडिंग करना. विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, किसी वेबसाइट पर उपयोगकर्ता की पूरी गतिविधि के आधार पर, उस वेबसाइट के लिए अलग-अलग रीमार्केटिंग सेगमेंट बना सकते हैं.

तीसरे पक्ष की कुकी के बिना, विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, रीमार्केटिंग के इस्तेमाल से जुड़े उदाहरणों को पूरा करने के लिए FLEDGE API का इस्तेमाल कर पाएंगे:

  • FLEDGE API: विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, किसी साइट के लिए उपयोगकर्ताओं की दिलचस्पी के हिसाब से रीमार्केटिंग सेगमेंट बना सकते हैं. इसके लिए, वे उपयोगकर्ता की गतिविधि के आधार पर इंटरेस्ट ग्रुप बनाते हैं. FLEDGE के पिछले इस्तेमाल के उदाहरणों में, AdTech सलूशन कई वेबसाइटों से बहुत बड़ी ऑडियंस बना रहे थे. इस उदाहरण में, सिर्फ़ एक वेबसाइट, पहले आ चुके किसी व्यक्ति को फिर से जोड़ने की कोशिश कर रही है. FLEDGE में निजता सुरक्षा की सुविधाएं शामिल हैं. इनके बिना, इस उदाहरण में वेबसाइटें लोगों को अलग-अलग कर सकती हैं. यह एपीआई, ऑडियंस रीमार्केटिंग को असरदार बनाने के साथ-साथ, लोगों की निजता की सुरक्षा भी करता है. इसके लिए, यह k-anonymity थ्रेशोल्ड सेट करता है, ताकि यह पक्का किया जा सके कि विज्ञापन दिखाने के लिए, लोगों की ज़रूरी संख्या उपलब्ध हो.

तीसरे पक्ष की कुकी के बिना भी, Privacy Sandbox की मदद से विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनियां, तीसरे पक्ष की वेबसाइटों पर बड़े पैमाने पर रीमार्केटिंग के लिए, पहले पक्ष (ग्राहक) के डेटा का इस्तेमाल कर सकती हैं.

ऑडियंस एक्सटेंशन

विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनियां, कभी-कभी किसी पब्लिशर की वेबसाइट पर मौजूद दर्शकों तक पहुंचना चाहती हैं. हालांकि, वे उन दर्शकों तक तब पहुंचना चाहती हैं, जब वे किसी दूसरी वेबसाइट पर हों. ऑडियंस एक्सटेंशन एक ऐसी प्रोसेस है जो पब्लिशर की पहली पार्टी की ऑडियंस को बढ़ाती है. इसके लिए, वह उन्हें अन्य साइटों पर ढूंढती है, ताकि एक ही ऑडियंस तक पहुंचने की फ़्रीक्वेंसी या पहुंच को बढ़ाया जा सके. ऑडियंस एक्सटेंशन का इस्तेमाल करके पब्लिशर, विज्ञापन देने वाले व्यक्ति या कंपनी को ऑडियंस सेगमेंट दे सकता है. जैसे, अफ़िनिटी (उदाहरण के लिए, गोल्फ़ खेलने वाले लोग) या डेमोग्राफ़िक (उदाहरण के लिए, उम्र सीमा). साथ ही, विज्ञापन देने वाले व्यक्ति या कंपनी को अन्य साइटों पर उस ऑडियंस को ढूंढने की अनुमति दे सकता है. विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी, ऑडियंस एक्सटेंशन का इस्तेमाल तब भी करती है, जब उसे अपने प्रॉडक्ट के बारे में जागरूकता बढ़ानी होती है. इसके लिए, वह उन उपभोक्ताओं तक पहुंचती है जो किसी खुदरा दुकानदार की वेबसाइट और वेब पर अन्य जगहों पर खरीदारी करते हैं.

विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, तीसरे पक्ष की कुकी के बिना पब्लिशर के लिए ऑडियंस को बढ़ाएंगे:

  • FLEDGE API: विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान देने वाली कंपनियां, किसी साइट के लिए कस्टम ऑडियंस एक्सटेंशन सेगमेंट बना सकती हैं.इसके लिए, उन्हें उपयोगकर्ता की गतिविधि के आधार पर इंटरेस्ट ग्रुप बनाने होते हैं. जैसे, किसी वेबसाइट के किसी खास सेक्शन (उदाहरण के लिए, यात्रा सेक्शन) को पढ़ना. यह प्रोसेस, रीमार्केटिंग की प्रोसेस से मिलती-जुलती है. साथ ही, इसमें निजता की सुरक्षा से जुड़ी सुविधाएं भी मिलती हैं. यह उन विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों के लिए फ़ायदेमंद है जो किसी पब्लिशर के 1P ऑडियंस डेटा को अहम मानते हैं. हालांकि, उन्हें उस पब्लिशर की वेबसाइट पर, उस ऑडियंस के लिए विज्ञापन इन्वेंट्री नहीं मिल पाती.

मशीन लर्निंग, निजता को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सिग्नल का इस्तेमाल करके परफ़ॉर्मेंस को कैसे बेहतर बना सकती है?

तीसरे पक्ष की कुकी के इस्तेमाल को बंद करने के बाद, विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों को यह सोचना पड़ सकता है कि मशीन लर्निंग और निजता को सुरक्षित रखने वाले सिग्नल का इस्तेमाल करके, सबसे अच्छे नतीजे कैसे हासिल किए जाएं.

ऑटोमेशन की मदद से, विज्ञापन देने वाले व्यक्ति या कंपनी के लिए बेहतर नतीजे पाना

ज़्यादातर विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, मैन्युअल और ऑटोमेटेड कैंपेन ऑप्टिमाइज़ेशन की अलग-अलग सुविधाएं देते हैं.

मैन्युअल तरीके से काम करने वाले ज़्यादातर समाधानों के लिए, विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों को अपनी पसंद की ऑडियंस, प्लेसमेंट, और बिड तय करनी होती हैं. इसके बाद, उन्हें इन्हीं इनपुट के हिसाब से काम करना होता है. मैन्युअल सेटअप की मदद से, विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों को बेहतर कंट्रोल मिलता है. हालांकि, अगर विज्ञापन देने वाले व्यक्ति या कंपनी को परफ़ॉर्म करने वाले सभी दर्शकों और प्लेसमेंट के बारे में जानना है या सभी वैरिएबल को ध्यान में रखते हुए, हर इंप्रेशन के लिए सबसे अच्छी बिड का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, तो मैन्युअल सेटअप से बेहतर नतीजे नहीं मिल सकते.

ऑटोमेशन की सुविधा वाले ज़्यादातर समाधानों में, विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों को अपने कारोबार के लक्ष्यों के बारे में बताना होता है. जैसे, कार्रवाई/बिक्री के हिसाब से लागत 2 डॉलर है. साथ ही, मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके, विज्ञापन देने वाले उस व्यक्ति या कंपनी के लिए अच्छी परफ़ॉर्म करने वाली ऑडियंस और प्लेसमेंट की पहचान की जाती है. साथ ही, तय किए गए लक्ष्य को हासिल करने के लिए सही बिड का पता लगाया जाता है. इस सेटअप में, बजट और लक्ष्य के अलावा विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान पर कुछ या कोई पाबंदी नहीं होती. विज्ञापन देने वाला व्यक्ति या कंपनी, ऑडियंस को "सुझाव" या "शुरुआती बिंदु" के तौर पर चुन सकती है. हालांकि, मशीन लर्निंग उपलब्ध सभी डेटा में ऐसे पैटर्न खोजेगी जिन्हें इंसान नहीं पहचान सकते.

मशीन लर्निंग, इन पैटर्न का इस्तेमाल करके परफ़ॉर्मेंस को ऑप्टिमाइज़ करती है. इसके लिए, वह ज़्यादा काम की ऑडियंस जोड़ती है और उन ऑडियंस की अनुमानित परफ़ॉर्मेंस के आधार पर बिड को अडजस्ट करती है. Privacy Sandbox, सिग्नल के कई सोर्स में से एक है. तीसरे पक्ष की कुकी के इस्तेमाल को बंद करने के बाद, मशीन लर्निंग को इन सिग्नल के बारे में जानकारी दी जाएगी. मशीन लर्निंग, विज्ञापन की परफ़ॉर्मेंस को बेहतर बना सकती है. इसके लिए, यह समय, कैंपेन, और विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों के हिसाब से, सबसे अच्छी ऑडियंस, प्लेसमेंट, और बिड की लगातार टेस्टिंग करती है और उनसे सीखती है. हालांकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि कुशल टीमों की ओर से किए गए बेहतर विश्लेषण से भी इस तरह के कोरिलेशन का पता लगाया जा सकता है.

विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों को ऑडियंस, प्लेसमेंट, और बिड मैनेज करने की ज़रूरत नहीं होगी. इससे उन्हें आसानी होगी. साथ ही, मशीन लर्निंग सिस्टम को बेहतर नतीजे पाने में मदद मिलेगी. विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियों के ऑटोमेटेड समाधानों में किए गए निवेश से, विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों को फ़ायदा मिलता है. साथ ही, इससे तीसरे पक्ष की कुकी से ट्रांज़िशन करने में भी मदद मिलती है.

मशीन लर्निंग के लिए अतिरिक्त सिग्नल

विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, विज्ञापन दिखाने के लिए बिड करनी है या नहीं, यह तय करते समय हमेशा कई सिग्नल को ध्यान में रखते हैं. क्रॉस-साइट कुकी ट्रैकिंग के बिना, विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधानों को मशीन लर्निंग में निजता को ध्यान में रखते हुए उपलब्ध हर सिग्नल का इस्तेमाल करने से फ़ायदा मिलेगा. इससे क्लिक या कन्वर्ज़न जैसे कारोबारी नतीजों का अनुमान लगाया जा सकेगा. निजता को सुरक्षित रखने वाले इन सिग्नल को कभी-कभी कम आंका जाता है. हालांकि, तीसरे पक्ष की कुकी के बिना भी ये सिग्नल, विज्ञापन को ज़्यादा काम का बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं:

  1. विज्ञापन क्रिएटिव की सुविधाएं: विज्ञापन क्रिएटिव का कॉम्पोनेंट लेवल पर विश्लेषण करने से, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह किसी खास ऑडियंस के लिए या कुछ पेजों पर कैसा परफ़ॉर्म करेगा.जैसे, विज्ञापन का विषय या उसमें ज़्यादा टेक्स्ट शामिल है या नहीं. कॉम्पोनेंट लेवल पर विश्लेषण करने के लिए, टेक्स्ट, इमेज, और डिज़ाइन जैसे कॉम्पोनेंट का इस्तेमाल किया जाता है.
  2. पहले पक्ष (ग्राहक) का डेटा: पब्लिशर, मार्केटर, और रीटेल नेटवर्क, पहले पक्ष के आइडेंटिफ़ायर और सेगमेंट को ज़्यादा से ज़्यादा बना रहे हैं. जैसे, सेलर की तय की गई ऑडियंस. किसी साइट पर समय के साथ उपयोगकर्ता के व्यवहार के बारे में जानने से, आपको यह बेहतर तरीके से अनुमान लगाने में मदद मिलती है कि उस साइट पर उस उपयोगकर्ता या सेगमेंट के लिए कौनसे विज्ञापन सबसे अच्छा काम करते हैं. इसके लिए, आपको अलग-अलग साइटों पर उपयोगकर्ता की प्रोफ़ाइल बनाने की ज़रूरत नहीं होती. पब्लिशर के पहले पक्ष (ग्राहक) के डेटा से, उसकी सभी साइटों पर बिडिंग को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है. साइट के हिसाब से बिड में किए गए इन सुधारों से, किसी कैंपेन की परफ़ॉर्मेंस बेहतर हो सकती है.

विज्ञापन टेक्नोलॉजी से जुड़े समाधान, उपलब्ध सभी टूल को मिलाकर सबसे अच्छे नतीजे दे सकते हैं. जैसे, मशीन लर्निंग और निजता बनाए रखने वाले एपीआई से मिले निजता को सुरक्षित रखने वाले सिग्नल. साथ ही, कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से डेटा, क्रिएटिव डेटा, और पहले पक्ष (ग्राहक) का डेटा.

नतीजा

तीसरे पक्ष की कुकी का इस्तेमाल बंद होने के बाद, यह ज़रूरी है कि विज्ञापन इंडस्ट्री, काम के विज्ञापन दिखाती रहे. साथ ही, उपभोक्ताओं को निजता की सुरक्षा से जुड़ी वे सुविधाएं मिलती रहें जिनकी वे उम्मीद करते हैं. हम जानते हैं कि Privacy Sandbox जैसे नए टूल का इस्तेमाल करने के लिए, आपको मेहनत करनी होगी. हम इस ट्रांज़िशन के दौरान, इंडस्ट्री की मदद करते रहेंगे.

हमारा सुझाव है कि आगे से आप:

  1. अपने विज्ञापन टेक्नोलॉजी समाधानों में निजता बनाए रखने वाले एपीआई जोड़ें. जैसे, Topics, FLEDGE, और Attribution Reporting. इससे तीसरे पक्ष की कुकी का इस्तेमाल बंद होने के बाद, दिलचस्पी के हिसाब से विज्ञापन दिखाने के सामान्य उदाहरणों में मदद मिलेगी.
  2. Privacy Sandbox से जुड़े एपीआई को, उपयोगकर्ता की निजता को सुरक्षित रखने वाले अन्य टूल के साथ टेस्ट करें. इनमें पब्लिशर के पहले पक्ष (ग्राहक) का डेटा भी शामिल है. इससे आपको आने वाले समय में परफ़ॉर्मेंस का पता चलेगा और रणनीति बनाने में मदद मिलेगी.
  3. मशीन लर्निंग को चालू करके, परफ़ॉर्मेंस को बेहतर बनाएं. इससे मशीन लर्निंग, निजता की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए उपलब्ध सभी डेटा का इस्तेमाल कर पाएगी. साथ ही, वह ज़्यादा से ज़्यादा डेटा से सीख पाएगी और उसे ऑप्टिमाइज़ कर पाएगी.

विज्ञापन टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री, Privacy Sandbox API का इस्तेमाल करके टारगेटिंग और बिडिंग से जुड़े कई मुख्य फ़ंक्शन पूरे कर सकती है. हालांकि, इन एपीआई के अलावा, निजता बनाए रखने से जुड़े अन्य सिग्नल को शामिल करने और इन सभी सिग्नल को एक साथ डिप्लॉय करने के कई फ़ायदे हैं.

डिजिटल विज्ञापन इंडस्ट्री के डीएनए में इनोवेशन शामिल है. विज्ञापनों को ज़्यादा काम का बनाने के लिए, मौजूदा तरीकों को बेहतर बनाकर हम तीसरे पक्ष की कुकी से ज़्यादा निजी और बेहतर परफ़ॉर्म करने वाले वेब पर आसानी से स्विच कर सकते हैं.